Additional Grounds for Divorce for wife In Hindi | तलाक के आधार जिन पर सिर्फ पत्नी ले सकती है

Additional Grounds for Divorce for wife In Hindi
Additional Grounds for Divorce for wife In Hindi

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप आज हम बात करते हैं कुछ ऐसे आधारों के बारे में जिन पर पत्नी तो तलाक ले सकती है पर पति इन आधारों पर तलाक नहीं ले सकता है, हमारे देश में कई कानून हैं जिनमें से कुछ कानूनों में पत्नियों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है जिनका फायदा पुरुषों को नही मिल पाता, आईए आज हम आपको बताते हैं तलाक के उन आधारों-Additional Grounds के बारे में जिन पर सिर्फ पत्नी ले सकती है

1. पति द्वारा बहु-विवाह (Bigamy)

यदि पति ने अधिनियम के लागू होने से पहले विवाह कर लिया था या विवाह से पहले पति द्वारा विवाह की गई कोई पत्नी विवाह के समय जीवित थी तो सिर्फ पत्नी तलाक के लिये इस आधार पर याचिका (Petition) पेश कर सकती है। यह आधार तभी लागू होता है

 

जबकि दूसरी पत्नी याचिका दायर करने के समय जीवित हो स्मरणीय है कि जहाँ विवाह विच्छेद(तलाक) की याचिका इस आधार पर पेश की गई है कि पति ने दूसरा विवाह कर लिया है वहाँ इस बात के होते हुये भी कि पति ने दूसरे विवाह की पत्नी से विवाह विच्छेद(तलाक) कर लिया है, प्रथम पत्नी के विवाह विच्छेद(तलाक) की याचिका को निरस्त नहीं करती।

यदि अधिनियम के पूर्व पति के दूसरा विवाह कर लेने पर प्रथम पत्नी के साथ समझौता करके रहने लगता है तो यह तथ्य उस पत्नी के विवाह विच्छेद(तलाक) की याचिका पेश करने के अधिकार को समाप्त नहीं करती।

2. पति द्वारा बलात्कार गुदामैथुन या पशुगमन ( Rape, Sodomy & Bestiality by Husband)

यदि कोई पति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 375 में वर्णित बलात्कार या धारा 377 में वर्णित गुदामैथुन एवं पशुगमन के अपराध का दोषी है तो पत्नी को इन आधारों पर विवाह विच्छेद(तलाक) का अधिकार प्राप्त हो जाता है।पत्नी को यह सिद्ध करना आवश्यक नहीं है कि उसका पति उस अपराध में दण्डित हुआ है बल्कि पति के इस दुराचरण को सिद्ध करना मात्र काफी है। यदि कोई पति अपनी पत्नी की सहमति के बिना गुदामैथुन करता है तो भी पत्नी विवाह की आज्ञप्ति प्राप्त करने की होती है।

3. भरण-पोषण का आदेश (Order of Maintenance)

यह आधार 1976 के संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया है। इसके अनुसार, “जहाँ हिन्दू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 18 के अन्तर्गत या दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 के अधीन दावा किये जाने पर कोई डिक्री या आदेश पति के भरण-पोषण देने के सम्बन्ध में इस बात के होते हुये भी पारित हो गया हैकि वह अलग रहती थी और ऐसी डिक्री या आदेश के पारित किये जाने के समय से पक्षों में एक वर्ष या उससे अधिक समय तक सहवास का पुनः आरम्भ नहीं हुआ है, पत्नी उस स्थिति में तलाक ले सकती है।

4. विवाह का निराकरण

जहाँ पत्नी का विवाह 15 वर्ष की आयु के पूर्व हो गया हो। (भले ही विवाह के बाद सम्भोग हुआ हो या नहीं) और उसने उस आयु को पूरा करने के बाद, किन्तु 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पूर्व ही विवाह को निराकृत कर दिया है, वहाँ पत्नी का इस आधार पर तलाक की डिक्री पाने का अधिकार हो जाता है।

 

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